बाढ़ का विलोम शब्द “सूखा “ होता है |
शब्द | विलोम |
बाढ़ | सूखा |
बाढ़ और सुखाड़ में अंतर
बाढ़ का विलोम शब्द “सूखा” होता है। बाढ़ और सूखा दोनों ही प्राकृतिक आपदाएँ होती हैं, लेकिन उनके प्रति प्रभाव एक दूसरे से विपरीत होता है।
बाढ़ | सूखा |
“बाढ़” एक प्रकार की अत्यधिक वर्षा की स्थिति होती है जिसमें बहुत अधिक वर्षा होने के कारण नदियों और झीलों का पानी उनकी सीमाओं से बाहर निकलकर आसपास के क्षेत्रों में बह जाता है। | “सूखा” उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी क्षेत्र में वर्षा की कमी होती है और पानी की आपूर्ति कम हो जाती है। यह जल संसाधनों की कमी के कारण हो सकता है और इससे कृषि, पेयजल, और जीवों के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं। |
बाढ़ के बारे में कुछ वाक्य
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक वर्षा के कारण उत्पन्न होती है।
बाढ़ के समय जलवायु बदलने से अनेक जीवों को खतरा होता है और लाखों लोगों को घरों से बाहर निकलना पड़ता है।
बाढ़ से कृषि, पशुपालन, और अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ता है।
सड़कों, पुलों, और सेतुओं की क्षति भी बाढ़ के समय होती है, जिससे संचार में बाधा होती है।
बाढ़ से बचाव के लिए बेहतर जल प्रबंधन, बांध निर्माण, और जलसंरक्षण की आवश्यकता होती है।
सरकारें बाढ़ प्रबंधन योजनाएं बनाती हैं ताकि आपदा के समय जनसंख्या की सुरक्षा और सहायता की जा सके।
सूखा के के बारे में कुछ वाक्य
सूखा एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें जल की कमी होती है।
सूखा का कारण प्राकृतिक तत्वों की असंतुलन की वजह से हो सकता है।
सूखा के कारण पानी की अभावना होने से कृषि, प्राणियों और मनुष्यों के जीवन पर असर पड़ता है।
सूखा से बचाव के लिए जल संचयन, जल संरक्षण की आवश्यकता होती है।
सूखा के कारण प्राकृतिक संसाधनों की उपयोग विशेषतः जल के प्रति सतर्कता की कमी की वजह से हो सकता है।
सूखा के प्रभावों में पौधों की सूखावट, जलवायु परिवर्तन, और भूमि की बेरोजगारी शामिल होती है।
सूखा के प्रभाव से बचने के लिए जल संरक्षण, वनस्पति संरक्षण, और जलवायु सुधार की आवश्यकता होती है।