योग सूत्र के रचना किसने किया था

योग सूत्र के रचनाकर कौन हैं ?

आज कल के बिजी जीवन में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है | जिसके लिए आप व्यायाम और योग का निरंतर उपयोग करते रहते है | पर क्या आप जानते हैं जो योग आपको इतना स्वस्थ बनाता है इसके रचनाकार कौन हैं नहीं तो कोई बात नहीं इस लेख के माध्यम से हम आपको योग सूत्र के रचना कार से परिचय करायेंगे | वैसे तो हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से ही बहुत सारे योग की किताबे लिखी गई थी |

योग सूत्र के रचनाकार कौन हैं ?

योग सूत्र के रचनाकार महर्षि पतंजलि हैं | महर्षि पतंजलि एक बड़े विद्वान थे महाभिष्य नामक ग्रंथ में संस्कृत व्याकरण के चुने हुए कुछ महत्वपूर्ण नियमों को आसान भाषा में व्याख्या किए इसलिए महर्षि पतंजलि को महाविशारद के रूप में जानते हैं

महर्षि पतंजलि कौन थे?

महर्षि पतंजलि प्राचीन भारत के प्रसिद्ध मुनि थे इन्हे नागो के राजा शेषनाग के अवतार के रूप में भी जाना जाता है। महर्षि पतंजलि पतंजलि को ही ‘चरक संहिता’ का प्रेरणा श्रोत माना जाता है यदि इनके योग सूत्र नहीं होते तो चरक संहिता लिख पान असंभव नहीं था |

भारतीय इतिहासकार डॉ. भंडारकर के अनुसार पतंजलि का जन्म 158 ई. पू. हुआ था इतिहासकारो की माने तो महर्षि पतंजली का जन्म गोनार्द (कश्मीर) अथवा (गोंडा) उत्तर प्रदेश में हुआ होगा | ऐसा माना जाता है पतंजलि चिकित्सक और रसायन शास्त्र दोनों

विषयों के विख्याता थे और ये इन विषयों के आचार्य भी थे।

पतंजलि योग सूत्र के चार अध्याय

पतंजलि योग सूत्र को चार अध्याय में लिखा गया है – ये चार अध्याय हैं -समाधि पाद, साधन पाद, विभूति पाद, कैवल्य पाद

समाधि पाद

समाधि पाद में कुल सूत्रों की संख्या 51 है|जिसके प्रथम पाद में समाधि तथा उसके विभिन्न भेदों के बारे में लिखा गया हैं | इसके मुख सूत्र है -गश्चित्तवृत्तिनिरोधः। जिसक अर्थ है – चित्तवृत्तियों का निरोध योग है। दुखी मन हमेशा दौड़ता है, कभी जगत के पदार्थों में,

तो कभी वासनाओं में तथा कभी इच्छाओं और विकारों में मन की इसी लहरों को को वृत्ति खा जाता है , क्योंकि मन की लहरें भिन्न भिन्न प्रकार के हैं |

साधन पाद

योगसूत्र के दुसरे अध्याय में साधन पाद के बारे में बताया गया है जिसमें दुखो के कारण को बताते हुए उनके शमन के उपाय बताए गए है। साधन पाद में कुल 195 सूत्र हैं जिसे चार अध्यायों में बाँटा गया है

विभूति पाद

योग सूत्र के तीसरे अध्याय में योग से होने वाले लाभ के बारे में समझाया गया है |साथ ही साथ ईस अध्याय में ध्यान . धारणाओं और सिद्धियों के बारे में ज्ञान दिया गया है |

कैवल्य पाद

योग सूत्र के चौथे अध्याय मतलब कैवल्यपाद में मोक्ष का शोध किया गया है। इसमें कुल 34 सूत्र है। मानव पांच कैलेशो से घिरा रहता है -अविद्या, अस्मिता,राग, द्वेष और अभिनिवेश| इसी के अनुसार मानव का जीवन कष्ट से गुजरता है इन सबसे बचने और मोक्ष प्राप्त करने का एक उपाय योग है |

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