परिचय
कालीबंगा, जो हरियाणा राज्य के सिरसा जिले में स्थित है, एक प्राचीन आर्कियोलॉजिकल स्थल है जिसका इतिहास बहुत पुराना है। यह स्थल भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
कालीबंगा में पाए गए आवश्यक विभिन्न अवशेष बताते हैं कि यहां पुरानी सभ्यता ने आवास किया था। इस स्थल पर 1969 में आर्कियोलॉजिस्ट श्रीमति आदिति जोशी द्वारा खोदे गए खदानों में प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेषों में से एक शामिल है।
कालीबंगा का महत्व तब पता चला जब इसके खदानों में पुराने ईंधन के निर्माण के लिए इस्तेमाल हुए जाने वाले चिकनी मिट्टी के टुकड़े मिले गए। यह टुकड़े बनाने का काम सिर्फ उस समय ही संभव था जब लोहा नहीं था, जो कि लोहे के युग की पहली चरण है। इससे प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेषों के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया था।
कालीबंगा में मिले गए अवशेषों में एक महत्वपूर्ण घटक है भगवान शिव के लिए निर्मित एक पुरानी मंदिर का अवशेष। यह मंदिर ब्रह्मणी नदी के किनारे स्थित है और इसे वायुमंडलीय युग (ईसा पूर्व २६००-१३०० ई.) के समय माना जाता है।
कालीबंगा में मिले गए खदानों और अवशेषों के आधार पर मानवीय आवास, गंगानदी सभ्यता का सार्वभौमिक आयाम, ग्रामीण सभ्यता, धातुरेखा का प्रचालन और अनुप्रेषण, समय की गणना, व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार, गहन नागरिक संबंध और महिलाओं की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अध्ययन हुआ है।
इस प्रकार, कालीबंगा एक महत्वपूर्ण प्राचीन स्थल है जो भारतीय इतिहास, सभ्यता और कला के लिए महत्वपूर्ण है।
कालीबंगा का अर्थ
कालीबंगा शब्द का अर्थ होता है “काली की बंगली”। यह नाम इस स्थल के प्राचीन मंदिर के आधार पर रखा गया है जो यहां पाया जाता है। इस मंदिर का निर्माण वायुमंडलीय युग (ईसा पूर्व २६००-१३०० ई.) के समय किया गया था। मंदिर में प्रदर्शित होने वाली विभिन्न मूर्तियाँ, विशेषतः भगवान शिव की मूर्ति, इसे “कालीबंगा” के नाम से पुकारा जाता है।
कालीबंगा की खोज किसने की और कब की
कालीबंगा की खोज 1969 में आर्कियोलॉजिस्ट श्रीमति आदिति जोशी द्वारा की गई। उन्होंने हरियाणा राज्य के सिरसा जिले में स्थित इस स्थल की खुदाई की और इसमें प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेषों की खोज की। कालीबंगा का अध्ययन और महत्वपूर्ण खोज आदिति जोशी द्वारा शुरू किया गया था और उसके बाद से इस स्थल का महत्व विश्वस्तरीय रूप से मान्यता प्राप्त कर गई है।
कालीबंगा का प्राचीन नाम
कालीबंगा का प्राचीन नाम “कालीबंगा” ही था। इस स्थल को उस समय भी “कालीबंगा” के नाम से जाना जाता था जब यहां प्राचीन मंदिर और नगरीय अवशेष मिले थे। इस नाम का उपयोग भगवान शिव के एक प्राचीन मंदिर के आधार पर किया गया है जो कालीबंगा में स्थित है। इसलिए, कालीबंगा नाम इस स्थल को प्राचीनकाल से ही प्राथमिकता देता है।
कालीबंगा का विशेषता
कालीबंगा का विशेषता उसकी ऐतिहासिक महत्वपूर्णता में है। यह स्थल भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कालीबंगा एक प्राचीन आर्कियोलॉजिकल स्थल है जिसमें प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेष मिले हैं। यह स्थल मानवीय आवास, ग्रामीण सभ्यता, धातुरेखा का प्रचालन और अनुप्रेषण, समय की गणना, व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार, गहन नागरिक संबंध और महिलाओं की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अध्ययन के लिए जाना जाता है।
कालीबंगा में प्राप्त अवशेषों में भगवान शिव के लिए निर्मित एक पुरानी मंदिर भी है जो वायुमंडलीय युग (ईसा पूर्व २६००-१३०० ई.) के समय से संबंधित है। इसके अलावा, यहां पाए गए चिकनी मिट्टी के टुकड़े इस स्थल की महत्वपूर्णता को बढ़ाते हैं क्योंकि इन टुकड़ों के निर्माण का काम लोहे के युग से पहले ही हुआ था।
कालीबंगा का अध्ययन और उसमें पाए गए अवशेषों का विश्लेषण विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धक है। यह स्थल भारतीय इतिहास, सभ्यता, वाणिज्यिक गतिविधियों, कला, विज्ञान, और महिला संबंधी मुद्दों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ स्थल है। इसलिए, कालीबंगा का अध्ययन और उसकी विशेषताएं भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कालीबंगा की खुदाई से क्या क्या मिला है
कालीबंगा की खुदाई से विभिन्न प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेष मिले हैं। यहां पाए गए अवशेष इस स्थल की महत्वपूर्णता को बताते हैं। यहां निम्नलिखित चीजें पाई गई हैं:
चिकनी मिट्टी के टुकड़े: कालीबंगा में पाए गए चिकनी मिट्टी के टुकड़े प्राचीनतम भारतीय नगरीय अवशेषों में से एक हैं। इन टुकड़ों का निर्माण लोहे के युग से पहले हुआ था और इसका महत्व विभिन्न संदर्भों में अध्ययन के लिए होता है।
पुरानी मंदिर: कालीबंगा में भगवान शिव के लिए निर्मित एक पुरानी मंदिर का अवशेष मिला है। इस मंदिर को वायुमंडलीय युग (ईसा पूर्व २६००-१३०० ई.) के समय का माना जाता है। इस मंदिर की मूर्तियाँ और विशेषताएँ इस स्थल की धार्मिक और कलात्मक महत्वपूर्णता को दर्शाती हैं।
व्यापारिक गतिविधियाँ: कालीबंगा में पाए गए अवशेषों में व्यापारिक गतिविधियों के अनुकरण के संकेत मिले हैं। इससे पता चलता है कि इस स्थल पर व्यापार का विस्तार हुआ था और व्यापारिक संबंधों का नेटवर्क मौजूद था।
मानवीय आवास: कालीबंगा में पाए गए अवशेषों से मानवीय आवास की जानकारी मिली है। इससे हमें इस स्थल के निवासियों की आवासीय व्यवस्था, समुदाय संरचना, और जीवनशैली के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
धातुरेखा: कालीबंगा के अवशेषों में धातुरेखा का प्रचार और अनुप्रेषण का संकेत मिला है। यह इस स्थल की तकनीकी और औद्योगिक उन्नति को दर्शाता है।
इन सभी मिले हुए अवशेषों के आधार पर कालीबंगा का अध्ययन और उसका महत्वपूर्ण खोजने का कार्य किया गया है। इससे हमें प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति, व्यापार, और सामाजिक पहलुओं के बारे में विस्तृत ज्ञान प्राप्त होता है।
कालीबंगा के नगर एवं भवन -निर्माण
कालीबंगा में पाए गए अवशेषों के आधार पर इस स्थल में नगर और भवनों का निर्माण हुआ था। यहां निम्नलिखित विवरण पाए गए हैं:
नगर (शहर): कालीबंगा में मिले गए अवशेषों से प्राचीन नगर की प्रासंगिकता का पता चलता है। यह नगर ग्रामीण सभ्यता का हिस्सा था और इसमें व्यापारिक गतिविधियाँ भी होती थीं।
आवासीय भवन: कालीबंगा में प्राप्त अवशेषों से मानवीय आवास के बारे में जानकारी मिली है। इससे हमें इस स्थल के निवासियों की आवासीय व्यवस्था और निर्माण विधि के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।
मंदिर: कालीबंगा में पाए गए अवशेषों में एक पुरानी मंदिर का निर्माण हुआ था जो भगवान शिव को समर्पित था। यह मंदिर वायुमंडलीय युग (ईसा पूर्व २६००-१३०० ई.) के समय में बनाया गया था।
वाणिज्यिक भवन: कालीबंगा में पाए गए अवशेषों में व्यापारिक गतिविधियों के अनुकरण के संकेत मिले हैं। इससे पता चलता है कि इस स्थल पर व्यापार का विस्तार हुआ था और व्यापारिक संबंधों का नेटवर्क मौजूद था।
कालीबंगा के नगर और भवनों का अध्ययन हमें इस स्थल की सभ्यता, आर्थिक विकास, धार्मिक अभिवृद्धि और सामाजिक पहलुओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
कालीबंगा के बर्तन एवं सामग्री
कालीबंगा के खुदाई से विभिन्न प्राचीनतम बर्तन और सामग्री मिली है। यहां निम्नलिखित चीजें पाई गई हैं:
टेराकोटा बर्तन: कालीबंगा में मिले गए टेराकोटा (मिट्टी के बने हुए) बर्तन प्राचीन भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं। इनमें से कुछ बर्तन उच्चकारी और सजावटी अलंकरण के साथ बनाए गए हैं।
सिंदूर पात्र: कालीबंगा में पाया गया सिंदूर पात्र प्राचीन भारतीय महिलाओं द्वारा उपयोग किया जाने वाला रंगीन बर्तन है। यह सिंदूर को स्थानीय रंग देने के लिए उपयोग होता था।
स्वर्ण और रजत आभूषण: कालीबंगा में स्वर्ण और रजत के आभूषण मिले हैं, जिन्हें भारतीय महिलाएं पहनती थीं। ये आभूषण बनाने के लिए सोने और चांदी के साथ विभिन्न तकनीकी योग्यता का उपयोग हुआ था।
पत्थर के उपकरण: कालीबंगा में पत्थर के उपकरण भी मिले हैं, जैसे पत्थर के प्रेस, मांस वाला चाकू, और अन्य छोटे-छोटे उपकरण। ये उपकरण खाद्य तैयारी, काम करने और अन्य गतिविधियों में उपयोग होते थे।
सुरमा और शंख शिल्प: कालीबंगा में पाए गए अवशेषों में सुरमा और शंखों के शिल्पीय निर्माण के साक्ष्य मिले हैं। ये अद्यतन और अलंकरण के लिए उपयोग होते थे।
कालीबंगा के बर्तन और सामग्री की खोज भारतीय सभ्यता, व्यापार गतिविधियों, रंगीनीकरण, आभूषण निर्माण, और उपयोगी उपकरणों के बारे में हमें जानकारी प्रदान करती है।