★ फॉन (Foehn) – आल्पस पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ चक्रवातीय तूफान चला करते हैं। वहाँ शुष्क स्थानीय हवायें पाई जाती हैं। इस स्थानीय हवा को ऑस्ट्रिया तथा जर्मनी में ‘फॉन’ कहा जाता है। इसका सर्वाधिक प्रभाव स्विट्जरलैण्ड में होता है। फॉन हवा मुख्यतः शीत ऋतु के अन्त तथा वसन्त ऋतु के प्रारम्भ में चला करती हैं।
★ चिनूक (Chinook) – रॉकी पर्वत माला के पूर्वी ढाल पर फॉन की भाँति ही गर्म हवा चलती है जिसे पश्चिमी कनाडा तथा अमरीका में चिनूक कहते हैं। इन हवाओं से अंगूरों को जल्दी पकने में सहायता मिलती है। क्योंकि ये हवाएँ हिम को पिघलाकर वाष्प रूप में अपने साथ ले जाती हैं इसलिए इन्हें हिमहारिणी कहते हैं।
★ सिमूम (Simoom) – यह एक गर्म, शुष्क तथा दम घुटाने वाली हवा है जो सहारा तथा अरब के मरुस्थलों में बसन्त एवं ग्रीष्म में चलती है। यह अपने साथ बालू बहाकर लाती है। सिमूम हवाओं का तापमान 32° से० से भी ज्यादा होता है।
★ सिरक्को (लेवेश, लेस्ट) – भूमध्यसागरी क्षेत्र में उत्तरी अफ्रीका से चलने वाले गर्म और शुष्क पवनों को सिरक्को कहते हैं। जब ये हवायें भूमध्यसागर को पार करके इटली पहुँचती हैं तो आर्द्र हो जाती है। इस गर्म पवन के कई स्थानीय नाम हैं। इटली में इसे सिरॉको, स्पेन में लेवेश तथा मैड्रिया व कनारी द्वीप समूह में लेस्ट कहते हैं।
★ सान्ता आना – दक्षिणी कैलीफोर्निया में सान्ता आना केनियन से होकर तटवर्ती मैदानों। की ओर चलने वाली धूल भरी आँधी को सान्ता आना कहते हैं। इन गर्म हवाओं से कैलीफोर्निया के फल के बगीचों को अपार क्षति होती है। इन हवाओं से पेड़ सूख जाते हैं और जंगलों में आग लग जाती है।
★ योमा – सान्ता आना की भाँति ही जापान में चलने वाली हवा को योमा कहते हैं।
मेसोपोटामिया, ईराक तथा फारस की खाड़ी की ओर उत्तर पूर्व से चलने वाली गर्म हवा को शामल कहा जाता है।
★ शामल – मेसोपोटामिया, ईराक तथा फारस की खाड़ी की ओर उत्तर पूर्व से चलने वाली गर्म हवा को शामल कहा जाता है।
★ नार्वेस्टर (Norwester) – न्यूजीलैण्ड में वहाँ की पर्वतमालाओं से उत्पन्न गर्म, शुष्क, झोंकेदार पवन को नार्वेस्टर कहते हैं।
★ ब्रिक फील्डर – आस्ट्रेलिया के मरुस्थलीय प्रदेशों (विक्टोरिया) से चलने वाली गर्म एवं शुष्क उत्तरी पवन को ब्रिक फील्डर कहा जाता है। इसका ताप 100′ F होता है।
★ हरमट्टान (Harmattan) – सहारा मरु प्रदेश से ही हरमट्टान नामक अन्य स्थानीय पवन चलती हैं जो गर्म शुष्क होती हैं। इस पवन की उत्पत्ति शीतकाल में सहारा में होती है। सहारा से ये हवायें गिनी तट की ओर चलती है जहाँ की वायु उष्णार्द्र होती है। वहाँ इसका प्रभाव शीतलकारी होता है, क्योंकि वाष्पीकरण के कारण से हवायें ठण्डी हो जाती हैं। इन्हें यहाँ ‘डॉक्टर’ कहा जाता है।
★ ब्लैक रोलर (Black Roller) – उत्तरी अमरीका के विशाल मैदान में दक्षिण पश्चिमी या उत्तरी पश्चिमी तेज धूल भरी आँधियां चलती हैं जिनसे कभी कभी मार्ग में पड़ने वाली इमारतें रेत के ढेर के नीचे दब जाती हैं। इन स्थानीय पवनों को ब्लैक रोलर कहते हैं।
★ काराबुरान – यह सिक्यांग की तारिम बेसिन, मध्य एशिया की गर्म उत्तरी पूर्वी हवा है। यह हवा बसन्त के आरम्भ से लेकर ग्रीष्म के अन्त तक बहती है। यह मरुस्थलों से धूल उड़ाकर लोएस के रूप में निक्षेपित करती है।
★ खमसिन (Khamsin) – मिस्र के उत्तर की ओर चला करती है। उष्ण मरु प्रदेशों में उत्पन्न होने के कारण इसमें धूल कणों की भी अधिकता होती है। बसन्त ऋतु में यह हवा चलती है।
★ गिबली – लीबीया में चलने वाली गर्म शुष्क रेत भरी हवा को गिबली कहते हैं।
★ चिली – ट्यूनीशिया में चलने वाली गर्म शुष्क रेत भरी हवा को चिली कहते हैं।
★ जोन्डा – सान्ता आना की भाँति ही अर्जेण्टाइना में चलने वाली हवा जोन्डा कहलाती हारा है।
★ लू – उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिम से पूर्व दिशा में चलने वाली प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवा को लू कहते हैं ।
★ सोलैनो (Solano) – द० पूर्वी स्पेन तथा जिब्राल्टर में बहने वाली पूर्वी तथा द०पूर्वी ती हवा जो गर्मी में गर्म तथा आर्द्र दशाओं के साथ कभी-कभी वर्षा भी प्रदान करती है।
★ कोयमबैंग (Koembang) – यह जावा, इण्डोनेशिया में फॉन के समान गर्म हवा है। इससे तम्बाकू की फसल को अधिक हानि होती है।
★ अयाला (Ayala) – यह फ्रांस के सेंट्रल मैसिफ क्षेत्र में बहने वाली तीव्र प्रचंड गर्म या पवन है। लोटस मध्य-एशिया गिनी तट पर ईराक व द० अमरीका में मैड्रिया, इटली में इसे नाग सिरोंको कहते हैं।
★ बर्ग (berg) – द.अफ्रीका मैं यह गर्म एवं शुष्क हवा,फॉन के सामान आन्तरिक पठार से तटीय क्षेत्रों की ओर चलती हैं |