मकतब एवं मदरसा क्या हैं ?

 

मकतब –

       यह मुस्लिम शिक्षा व्यवस्था के प्राथमिक शिक्षा के केंद्र हुआ करते थे | ‘मकतब’ शब्द अरबी भाषा के ‘कुतुब’ शब्द से निकाला है जिसका अभिप्राय हैं वह स्थान जहाँ पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है। मध्यकाल में ये मकतब प्रायः मस्जिदों से संलग्न होते थे और एक शिक्षकीय होते थे । तात्कालिक मुस्लिम समाज में पर्दा प्रथा का प्रचलन था । फिर भी, मकतबों में लड़के एवं लड़कियाँ एक साथ विद्याध्ययन करते थे । विद्यार्थियों का मकतब में प्रवेश बिस्मिल्लाह रस्म के उपरान्त होता था ।

मदरसा –

       यह मुस्लिम शिक्षा व्यवस्था के उच्च शिक्षा के केन्द्र हुआ करते थे । ‘मदरसा ‘ शब्द अरबी भाषा के ‘दरस’ शब्द से निकला है जिसका अभिप्राय है— भाषण देना और चूँकि उस समय उच्च शिक्षा प्रायः भाषण द्वारा दी जाती थी। इसलिए उन स्थानों को जहाँ भाषण द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती थी, मदरसा कहा गया । यहाँ विद्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद प्रवेश दिया जाता था ।

      मदरसे राजधानियों एक बड़े-बड़े नगरों में स्थापित किये जाते थे और जहाँ मुस्लिम जनसंख्या का अधिक केन्द्रीयकरण होता था। इन मदरसों के भवन, पुस्तकालय और छात्रावासों आदि के निर्माण मुसलमानों द्वारा पर्याप्त आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता था । मदरसों में अध्यापकों की संख्या एक से अधिक होती थी, जिन्हें पर्याप्त वेतन दिया जाता था। वेतन आदि के खर्च के लिए राजाओं द्वारा धन उपलब्ध कराया जाता था। मदरसों का प्रबंध पूर्ण रूप से अध्यापकों के हाथ में था । प्रत्येक मदरसों में अध्यापकों की एक प्रबन्ध समिति का गठन किया जाता था जो निर्माण कार्य, नियुक्ति कार्य और प्रवेश कार्य का सम्पादन करती थी, छात्रावासों की व्यवस्था करती थी तथा बालकों के खान-पान आदि की व्यवस्था करती थी । बड़े-बड़े मदरसों में भिन्न-भिन्न कार्यों का देखभाल के लिए उप-समितियों का भी प्रावधान किया गया था।

     इब्नबतूता के अनुसार, “ज्यादातर मदरसों में बड़े-बड़े पुस्तकालय थे। इन पुस्तकालयों के बड़े-बड़े भवन थे और इसमें अरबी एवं फारसी भाषा और इस्लाम धर्म के सभी मुख्य ग्रंथों की कई-कई प्रतियाँ थीं। साथ ही, शिक्षक निवास और विद्यार्थियों के निवास भी बने थे। ये सभी बहुत उच्च श्रेणी के थे और इनमें प्रत्येक प्रकार की सुविधा थी। मनोरंजन के लिए पार्क, तालाब और खेल के मैदानों की व्यवस्था थी। छात्रावासों में भोजन के लिए चपाती, पुलाव और मुर्ग -मुस्ललम दिया जाता था और सोने के लिए कालीन मुहैया कराये जाते थे।

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