बौद्धकालीन शिक्षा के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय – बौद्धकाल में शिक्षा के मुख्य केन्द्र मठ और विहार थे। इनमें छात्रावास सम्बद्ध थे। छात्रों को निःशुल्क शिक्षा, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा आदि की सुविधा प्राप्त थी। कुछ मठों और विहारों ने विश्वविद्यालयों के रूप में विकसित होकर पर्याप्त ख्याति अर्जित की। यथा—
1 . नदिया विश्वविद्यालय — यह विश्वविद्यालय पूर्वी बंगाल में नदिया नामक स्थान में था। 11 वीं शताब्दी में राजा लक्ष्मणसेन के संरक्षण में यह शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र हो गया ।
2 . वल्लभी विश्वविद्यालय — यह विश्वविद्यालय पूर्वी काठियावाड़ में वला नामक स्थान में था। 17वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक पश्चिमी भारत का प्रमुख शिक्षा केन्द्र था।
3 . विक्रमशिला विश्वविद्यालय — यह विश्वविद्यालय उत्तरी मगध में गंगा नदी के तट पर एक अत्यंत सुन्दर पहाड़ी पर स्थित था । इसे बख्तियार खिलजी ने सन् 1209 में नष्ट कर दिया ।
4 . तक्षशिला विश्वविद्यालय — यह विश्वविद्यालय आधुनिक रावलपिंडी से लगभग 20 मील पश्चिम में था । यह अनेक शताब्दियों तक पहले वैदिक शिक्षा का और उसके बाद बौद्ध शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र था । यह 600 ई०पू० में अपनी प्रसिद्धि की पराकाष्ठा पर था । पाणिनी, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री — कौटिल्य, महात्मा बुद्ध के व्यक्तिगत चिकित्सक, जीवक और सम्राट चन्द्रगुपत और पुष्यमित्र इस विश्वविद्यालय की उपज थे। पाँचवी शताब्दी के मध्य में बर्बर हूणों ने इसका सदैव के लिए विनाश कर दिया।
5 . नालन्दा विश्वविद्यालय — यह विश्वविद्यालय पटना से लगभग 50 मील दूर दक्षिण से में था। यह लगभग एक मील लम्बा और आधा मील चौड़ा था एवं चहारदीवारीसे घिरा हुआ था। इसमें 8 बड़े सभा भवन और 3,000 अध्ययन कक्ष थे। इसमें विशाल पुस्तकालय था। इसमें 10 से अधिक सरोवर थे जिनमें छात्र जल-क्रीड़ा करते थे । यह जब अपनी पराकाष्ठा पर था तब इसमें लगभग 1,500 शिक्षक एवं 10,000 छात्र थे और प्रतिदिन 100 भाषण होते. थे, इसमें सुदूर देशों के छात्र अध्ययन करने आते थे। इस प्रकार इसने अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का रूप ग्रहण कर लिया। सन् 1209 में बख्तियार खिलजी ने प्राचीन भारत की सभ्यता के प्रतीक इस विश्वविद्यालय को धराशायी कर दिया।