4 . जैवमंडल
पृथ्वी पर तीन प्रकार के जीवधारी हैं— वनस्पति, जंतु और मानव । इन तीनों के पारस्परिक योग से ही तीनों का सह-अस्तित्व बना हुआ है । ये तीनों जीवधारी मिलकर ‘जैवमंडल’ का निर्माण करते हैं। जैवमंडल के विकास में वायु, स्थल और जल तीनों का योगदान होता है। वायुमंडल न होता तो जीवधारियों को जीवन-संचार के लिए आवश्यक गैसें प्राप्त न होतीं। ऊर्जा का स्रोत सूर्य भी वायुमंडल से होकर ही आवश्यकता-भर ऊर्जा प्रेषित करता है जिसके फलस्वरूप जीवाणु से लेकर बड़े-बड़े जीव और काई से लेकर विशाल वृक्ष अपने विकास में लगे हुए हैं। महासागरों की अगाध गहराई में सूर्य की किरणें प्रवेश नहीं कर पातीं, अतः वहाँ जीव-जंतुओं का संसार नहीं मिलता। इनका साम्राज्य उपयुक्त जलवायु- क्षेत्रों में देखा जाता है जहाँ इनकी सारी आवश्यकताएँ पूरी होती हैं ।
वनस्पति से जंतुओं (मानवसमेत) में इस बात की श्रेष्ठता है कि ये चलते-फिरते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार इधर-उधर आते-जाते हैं। फिर भी मानव की अपेक्षा अन्य जंतुओं इस बात की कमी है कि मानव विभिन्न प्रकार की जलवायु में अनुकूलन कर सकता है जबकि इतर जंतु ऐसा नहीं कर सकते। प्रवासी जंतुओं के स्थानांतरण करने के वातावरण का क्षेत्र सीमित हुआ करता है ।
सौर परिवार में पृथ्वी ही एकमात्र ग्रह है जहाँ जैवमंडल पाया जाता है।