चंद्रयान-3 की यात्रा 42 दिन में क्यों : चांद तक पहुँचने का समय और कारण

चंद्रयान-3 एक रोमंचक अंतरिक्ष मिशन है जो भारतीय अनुसंधान संस्थान (ISRO) द्वारा संचालित किया जा रहा है।

इस मिशन के तहत चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में, इसरो ने चंद्रयान-3 का पहला ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर (अर्थबाउंड फायरिंग-1) सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है |

चंद्रयान-3 की यात्रा

चंद्रयान-3 की यात्रा चांद तक पहुंचने का प्रयास है, जो 41762 km x 173 km ऑर्बिट में आगे बढ़ रहा है।

इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में करीब 42 दिन लगेंगे। यहां हम एक सवाल पैदा करते हैं – रूस, चीन और अमेरिका ने कम समय में चांद तक स्पेसक्राफ्ट भेजे हैं, फिर चंद्रयान-3 को इतने समय तक पहुंचने में क्यों लग जाएगा?

चंद्रयान-3 को चाँद पर पहुचने में 42 दिन क्यों लगेगा

चंद्रयान-3 के इंजन बर्न्स और मल्‍टी-स्‍टेप अप्रोच: ISRO के पास चांद तक पहुंचाने के लिए इतना शक्तिशाली रॉकेट नहीं है जो चंद्रयान-3 को सीधे चांद के रास्‍ते पर भेज सके। अगर ऐसा होता तो चंद्रयान-3 की यात्रा जल्दी से पूरी हो जाती। लेकिन चंद्रयान-3 दूसरे रास्‍ते से जा रहा है। इसमें धरती की अलग-अलग कक्षाओं और इंजन बर्न्स का इस्तेमाल कर चंद्रयान-3 की स्पीड बढ़ाई जाएगी। इसी मल्टी-स्‍टेप अप्रोच के कारण इसके पहुंचने में अधिक समय लग जाएगा।

धरती और चांद के गुरुत्वाकर्षण बल का इस्तेमाल: ISRO ने चंद्रयान और मंगलयान मिशनों में मल्‍टी-स्‍टेप अप्रोच का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। इससे वक्त जरूर लगता है लेकिन कम ताकतवर लॉन्च वीइकल से भी काम चल जाता है। यह मिशन धरती के और चांद के गुरुत्वाकर्षण बल का इस्तेमाल करेगा ताकि अपनी यात्रा को शुरू कर सके। चंद्रयान-3 एक दीर्घवृत्ताकार रास्‍ते में आगे बढ़ता रहेगा जिससे इसका समय लगेगा।

निष्कर्ष

भारत का चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और जल्द ही चांद तक पहुंचने की कोशिश करेगा। इसरो के प्रयासों और वैज्ञानिकों के समर्पण से यह मिशन सफलता की ओर बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचाने में कुछ समय तो लगेगा ही, लेकिन इसके सफल पूर्णांकन के बाद भारत एक बार फिर से अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा को साबित करेगा।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

चंद्रयान-3 का पहला ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर कब सफलतापूर्वक पूरा किया गया था?

चंद्रयान-3 का पहला ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर (अर्थबाउंड फायरिंग-1) जुलाई 2023 में सफलतापूर्वक पूरा किया |

चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में इतना समय क्यों लगेगा?

चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने के लिए मल्टी-स्टेप अप्रोच का उपयोग किया जा रहा है और इसके इंजन बर्न्स की मदद से यात्रा को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे इसको पहले यात्रा में समय लग रहा है।

चंद्रयान-3 की मिशन यात्रा कब तक सम्पूर्ण होगी?

चंद्रयान-3 की मिशन यात्रा को अगस्त 2023 के अंत तक सम्पूर्ण किया जाना तय है।

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य क्या है?

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के सतह की गहराई को अध्ययन करना, वैज्ञानिक अनुसंधान करना और चंद्रमा की संरचना और तत्वों को समझने में मदद करना है।

चंद्रयान-3 यात्रा के बाद क्या होगा?

चंद्रयान-3 यात्रा के बाद अगर सब कुछ ठीक रहता है तो चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर लैंड किया जाएगा और वहां से धरती को विशेषज्ञता से जानकारी भेजी जाएगी।

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